ऊर्जा के मामले में भारत की स्थिति

भविष्य की पावर कैपेसिटी (क्षमता) की आवश्यकताओं की पूर्ति आज करना

1.3 अरब लोगों से ज्यादा की आबादी के साथ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सरकार ने अपने नागरिकों के लिए 450 GW स्वच्छ, सस्ता और सतत ऊर्जा प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और भारत ने इस दिशा में अच्छी प्रगति की है — और अभी ही 87 GW अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तैयार कर ली है।*

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“भारत में हमलोग गैर-जीवाश्म ईंधन, का हिस्सा बढ़ाने जा रहे हैं और 2022 तक हमारी योजना नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 175 GW से बहुत ज्यादा और बाद में 450 GW तक करने की है।”.

— प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

*जून 2020: http://www.cea.nic.in/monthlyinstalledcapacity.html

सुरक्षित, स्थिर ऊर्जा

भारत के लिए ऊर्जा सुरक्षा मुहैया कराना

नवीकरणीय ऊर्जा में भारत के निरंतर विकास को समर्थन देने के लिए मिनिस्ट्री ऑफ रीन्यूएबल एनर्जी (एम एन आर ई) तथा मिनिस्ट्री ऑफ पावर एंड सोलर इलेक्ट्रिसिटी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एस ई सी आई) ने राउंड-द-क्लॉक पावर (आर टी सी), स्थिर और लचीली पावर और पीकिंग पावर के लिए समाधान प्रस्तावित किए हैं। गैस टरबाइन प्रौद्योगिकी नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को सपोर्ट करने वाले और पूरक विश्वसनीय, लचीली और सतत ऊर्जा के उत्पादन से ऊर्जा सुरक्षा मुहैया करा सकती है। इसे “ग्रिड फर्मिंग” के नाम से जाना जाता है। 

ग्रिड फर्मिंग नवीकरणीय ऊर्जा का समर्थन करेगी

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा की कमी की पूर्ति करना

ग्रिड फर्मिंग या ग्रिड बैलेसिंग (कैपेसिटी फर्मिंग या रीन्यूएबल फर्मिंग के नाम से भी जाना जाता है) किसी नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र में एक अन्य ऊर्जा संसाधन को शामिल करना है ताकि किसी भी समय जब धूप नहीं निकली हो या हवा नहीं चल रही हो तब सुरक्षित, स्थिर ऊर्जा मुहैया हो सके। ग्रिड फर्मिंग किसी भी ऊर्जा उत्पादन नेटवर्क के लिए महत्वपूर्ण है खासकर भारत में जैसे नेटवर्क हैं जहां ज्यादातर प्रतिशत नवीकरणीय स्रोतों का है। 

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यह चार्ट भारत में किसी आम दिन का प्रतिनिधित्व करता है। “डक कर्व्स” से नेट लोड डिमांड पर नवीकरणीय की उच्च पहुंच का प्रभाव मालूम होता है। ग्रिड पर जब ज्यादा सोलर उत्पादन उपलब्ध हो तो डक कर्व की “बेली” गहरी हो जाती है। जब अंधेरा हो जाता है, तो लचीले संसाधन जैसे एयरोडेरिवेटिव गैस टरबाइन आवश्यक होते हैं ताकि सोलर पावर में अचनाक कमी की भरपाई हो सके और ग्रिड का प्रभावी प्रबंध किया जा सके। ग्रिड पर जब नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत बढ़ने लगते हैं तो कर्व गहरा हो जाता है और दिखाता है कि ग्रिड को स्थर रखने के लिए कैसे रैम्प रेट्स आवश्यक हो जाते हैं।

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उपलब्ध और प्रतिस्पर्धी ग्रिड फर्मिंग विकल्प

गैस पावर अब भारत के लिए एक उपयुक्त समाधान है

नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने वाले किसी भी क्षेत्र को इसकी सहायता के लिए निरंतर उपलब्ध ऊर्जा समाधान की आवश्यकता होती है। ग्रिड फर्मिंग के समर्थन के लिए सक्षम कई प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं। इनमें गैस फायर्ड पावर संयंत्र, कोल-फायर्ड पावर संयंत्र और ऊर्जा संग्रहण भी शामिल है। हालांकि एक फ्यूल स्रोत - नैचुरल गैस, भारत के लिए समाधान की पेशकश करता है जो ज्यादा स्वच्छ है, ज्यादा कार्यकुशल है और लचीले है ।

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व्हाइट पेपर: भारत में गैस की आपूर्ति

गैस हमेशा ही सबसे सस्ता विकल्प नहीं रहा है, पर भारत में आज — और आगे देखे जा सकने वाले भविष्य में — गैस की कीमत कम होकर प्रतिस्पर्धी स्तर पर पहुंच गई है। यह देश भर में अधिक मात्रा में उपलब्ध भी है और भारत के अनूठे इंटरकनेक्टेड ग्रिड के साथ स्टैंडअलोन और हाइब्रिड दोनों तरह के कंफीगुरेशंस में अच्छी तरह काम कर सकता है। क्योंकि भारत के चार ग्रिड रीजन में गैस कहीं से भी भेजी जा सकती है, ऊर्जा संग्रहण के मुकाबले इसमें खास फायदा भी है, जिसे प्रत्येक सोलर संयंत्र से जोड़ने की आवश्यकता होती है। 

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भारत के लिए गैस पावर क्यों?

भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने में गैस की अहम भूमिका होती है

2022 तक 220 GW और आखिरकार 450 GW नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन का भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए एक योजना की आवश्यकता है ताकि ग्रिड फर्मिंग समाधानों के मेल को लागू किया जा सके जिससे नवीकरणीय ऊर्जा की अस्थिर और परिवर्तनशीलता वाली प्रकृति का प्रबंध किया जा सके।

गैस-बेस्ड थर्मल पावर में लचीली खासियतें शामिर होती हैं जो इसे ग्रिड फर्मिंग के लिए आदर्श बनाती हैं। कोयले के मुकाबले में गैस पावर सिंगल-डिजिट नॉक्स एमिशन, 50% कम सीओ2 एमिशन भी हासिल कर सकता है तथा इसमें कोई ऐश या सल्फर भी नहीं निकलता है। भारत की परिपक्व गैस पाइपलाइन के जरिए इसे देश में कहीं भी तैनात किया जा सकता है ताकि दुरुत कार्यकुशल पावर मुहैया हो सके जिससे भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति में सहायता की जा सके।

"गैस लचीली, कार्यकुशल होती है और हमें एक रीसिलिएंट ग्रिड बनाए रखने देता है।"

— जेसन रॉवेल
ग्लोबल टैक्नोलोजी पोर्टफोलियो मैनेजर, ब्लैक एंड वीच

ज्यादा जानना चाहते हैं? भारत में ग्रिड फर्मिंग के लिए जीई गैस टरबाइन प्रौद्योगिकी के फायदे जानने के लिए नीचे प्रत्येक आयटम पर क्लिक करें।

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स्टार्ट-अप टाइम जितना कम होगा टरबाइन उतनी ही जल्दी मिनिमम लोड हासिल कर लेता है और अतिरिक्त पावर की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। स्टार्ट अप के लिए गैस यूनिट न्यूनतम समय लेती है और प्रति MW कम ऊर्जा की खपत होती है। इस तरह यह नवीकरणीय ऊर्जा की परिवर्तनीय प्रकृति के समर्थन के लिए सबसे उपयुक्त है। सच तो यह है कि कुछ गैस टरबाइन 15 मिनट से भी कम समय में फुल प्लांट लोड पर पहुंच सकते हैं। इस लचीलेपन से ग्रिड ऑपरेटर्स जब भी आवश्यकता हो शीघ्रता से गैस पावर रवाना कर सकते हैं और शट डाउन कर सकते हैं या मिनिमम लोड निर्धारित कर सकते हैं जब नवीकरणीय ऊर्जा भरपूर मात्रा में हो।

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हायर रैम्प रेट्स प्लांट ऑपरेटर को नेट पावर ज्यादा तेजी से एडजस्ट (समायोजित) करने देते हैं ताकि वे तेजी से बदलती मांग की तेजी से पूर्ति कर सकें जो सोलर और विंड पावर की परिवर्तनशीलता के कारण होता है। गैस टरबाइन रैम्प-अप सभी ऊर्जा उत्पादन समाधानों में सबसे तेज है -- 88 MW प्रति मिनट तक।

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उच्च पार्ट लोड दक्षता, लो मिनिमम लोड, और देर से टर्नडाउन सब मिलकर एयरोडेरिवेटिव (एयरो) गैस टरबाइन के लचीलेपन में योगदान करते हैं। एयरो भी हाइड्रोजन-कैपेबल है और भिन्न किस्म के ईंधन जैसे नैचुरल गैस, डीज़ल और एवियेशन फ्यूल पर काम कर सकता है — पर इसे फ्यूल नैप्था, एलपीजी, इथेन, इथेनॉल, बायो-डीज़ल और अन्य पर काम करने के लिए भी कंफीगर किया जा सकता है।

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उठिए और पावर के साथ चलिए जब भी आपको इसकी जरूरत हो। जीई ट्रेलर-माउंटेड टीएम2500 को तीन महीने से कम में संस्थापित किया जा सकता है और हमारे दूसरे एयरो गैस टरबाइन को छह महीने में लगाकर चालू किया जा सकता है, इस तरह आपको डिसपैच की जा सकने वाली बिजली से सहायता मिलेगी जिसकी आपको आवश्यकता होगी।

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जीई गैस टरबाइन अन्य थर्मल ऐसेट्स के मुकाबले बेहद उच्च पार्ट लोड दक्षता मुहैया करा सकता है जिसके परिणामस्वरूप लोड टर्न डाउन करने पर अच्छे खासे आर्थिक लाभ होते हैं।

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भारत में हमारी उपस्थिति

जीई साउथ एशिया में

जीई की 110 साल से ज्यादा समय से साउथ एशिया में मजबूत स्थानीय उपस्थिति है। इस क्षेत्र में इस समय हमारे पास 18,000 से ज्यादा कर्मचारी हैं जो एवियेशन, पावर, हेल्थकेयर, रीन्यूएबल एनर्जी और डिजिटल तथा एक 300 से ज्यादा यूटिलिटी और इंडस्ट्रियल गैस टरबाइन्स के इंस्टॉल्ड फ्लीट के लिए काम करते हैं।

भारत में 15 जीई मैनुफैक्चरिंग साइट्स हैं। इनमें एक मल्टी-मॉडल मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी पुणे में है। जीई के पांच टेक्नालॉजी और इंजिनियरिंग सेंटर हैं — इनमें एक बंगलुरू का जॉन एफ वेल्श टेक्नालॉजी सेंटर (जेएफडब्ल्यूटीसी), अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा इंटीग्रेटेड मल्टीडिसिप्लिनरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर शामिल है। 650 से ज्यादा गैस पावर इंजीनियरिंग एक्सपर्ट पावर उद्योग के प्रमुख डोमेन (ज्ञान क्षेत्र) जैसे कंबश्चन, एयरो-थर्मल, एमिशन, कंट्रोल्स, कम्पोनेंट टेस्टिंग, जीटी/एसटी असेसरीज़, रोटर डायनेमिक्स और वाइब्रेशन, मॉनीटरिंग एंड डायग्नॉस्टिक्स, प्लांट इंजीनियरिंग,एंड इलेक्ट्रिकल सिस्टम्स से संबंधित अनुसंधान के लिए समर्पित है। जीई के गैस पावर इंजीनियर्स ने 20 साल में 1200 से ज्यादा पेटेंट्स का विकास किया है।

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